कुपोषण प्रबंधन का पद वसूली के लिए दिया जाता है महिला एवं बाल विकास विभाग मे
सतना- महिला एवं बाल विकास विभाग का एक बाबू है संजय उरमलिया है जो कथित सीडीपीओ है मझगवा का, इस व्यक्ति की लापरवाही की वजह से सोमबती की मौत की खबर है। महिला एवं बाल विकास विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों ने इसे पोषण प्रबंधन का पद दिया था जबकि पोषण प्रबंधन का कोई पद ही महिला एवं बाल विकास विभाग में स्वीकृत नहीं है। फिर भी महिला बाल विकास विभाग के जिम्मेदार अधिकारी इस व्यक्ति को उपकृत करने के लिए कुपोषण प्रबंधन का प्रभारी अधिकारी बना दिया गया और यह व्यक्ति सीडीपीओ की कुर्सी में बैठकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं सहायिकाओं और स्व सहायता समूह को फरमान जारी करता रहा और दोनों हाथ से जिम्मेदार अधिकारियों के नाम पर वसूली करता रहा। विभागीय सूत्र बताते हैं इस व्यक्ति को यह पद सिर्फ वसूली के लिए दिया गया था। क्योकि मझगवा की तत्कालीन सीडीपीओ भगवती पांडे थी जो सतना में ही रहती थी कभी कभार मझगवा हस्ताक्षर करने जाती थी, बाकी संपूर्ण कामकाज संजय उरमलिया ही देखता था। उल्लेखनीय है कुपोषण एवं जुवेनाइल नामक बीमारी की शिकार बालिका सोमवती के इलाज में लापरवाही बरतने के आरोप में सतना कलेक्टर ने तत्कालीन सीडीपीओ भागवती पांडे एक सुपरवाइजर और एक कार्यकर्ता को दोषी मानते हुए कार्यवाही के आदेश दिए थे और मझगवा के सीडीपीओ का दायित्व सहायक संचालक राजेंद्र बागडे को दे दिया गया जबकि सीडीपीओ का संपूर्ण कामकाज संजय उरमलिया देखता था और अभी भी देख रहा है। भगवती पांडे तो नाम की सीडीपीओ थी और अब राजेंद्र बांगडे भी भी नाम के सीडीपीओ है। यह सब खेल महिला एवं बाल विकास विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों के नेतृत्व में खेला गया। बावजूद इसके संजय उरमलिया को कोई आंच नहीं आई और वह पूरी तरह से सेफ जोन मे है क्योकि वह वसूली का मास्टरमाइंड है। एक और महत्वपूर्ण बात मझगवा का सीडीपीओ कोई भी रहे संपूर्ण काम-काज संजय उरमलिया ही लंबे समय से देख रहा है।